महाभारतम् — 14.56.23
Original
Segmented
निक्षिप्तम् एतद् भुवि पन्नगाः तु रत्नम् समासाद्य परामृषेयुः यक्षाः तथा उच्छिष्ट-धृतम् सुराः च निद्रा-वशम् त्वा परिधर्षयेयुः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| निक्षिप्तम् | निक्षिप् | pos=va,g=n,c=2,n=s,f=part |
| एतद् | एतद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| भुवि | भू | pos=n,g=f,c=7,n=s |
| पन्नगाः | पन्नग | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| तु | तु | pos=i |
| रत्नम् | रत्न | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| समासाद्य | समासादय् | pos=vi |
| परामृषेयुः | परामृष् | pos=v,p=3,n=p,l=vidhilin |
| यक्षाः | यक्ष | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| तथा | तथा | pos=i |
| उच्छिष्ट | उच्छिष्ट | pos=n,comp=y |
| धृतम् | धृ | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
| सुराः | सुर | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| च | च | pos=i |
| निद्रा | निद्रा | pos=n,comp=y |
| वशम् | वश | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| त्वा | त्वद् | pos=n,g=,c=2,n=s |
| परिधर्षयेयुः | परिधर्षय् | pos=v,p=3,n=p,l=vidhilin |