महाभारतम् — 14.7.22
Original
Segmented
मरुत्त उवाच यावत् तपेत् सहस्रांशुः तिष्ठेरन् च अपि पर्वताः तावल् लोकान् न लभेयम् त्यजेयम् संगतम् यदि
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| मरुत्त | मरुत्त | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| यावत् | यावत् | pos=i |
| तपेत् | तप् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| सहस्रांशुः | सहस्रांशु | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| तिष्ठेरन् | स्था | pos=v,p=3,n=p,l=vidhilin |
| च | च | pos=i |
| अपि | अपि | pos=i |
| पर्वताः | पर्वत | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| तावल् | तावत् | pos=i |
| लोकान् | लोक | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| न | न | pos=i |
| लभेयम् | लभ् | pos=v,p=1,n=s,l=vidhilin |
| त्यजेयम् | त्यज् | pos=v,p=1,n=s,l=vidhilin |
| संगतम् | संगत | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| यदि | यदि | pos=i |