महाभारतम् — 14.92.17
Original
Segmented
श्रद्धा-वाक्यः प्राज्ञः त्वम् दिव्यम् रूपम् बिभर्षि च समागतः च विप्रैः त्वम् तत्त्वतो वक्तुम् अर्हसि
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| श्रद्धा | श्रद्धा | pos=va,comp=y,f=krtya |
| वाक्यः | वाक्य | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| प्राज्ञः | प्राज्ञ | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
| दिव्यम् | दिव्य | pos=a,g=n,c=2,n=s |
| रूपम् | रूप | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| बिभर्षि | भृ | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
| च | च | pos=i |
| समागतः | समागम् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| च | च | pos=i |
| विप्रैः | विप्र | pos=n,g=m,c=3,n=p |
| त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
| तत्त्वतो | तत्त्व | pos=n,g=n,c=5,n=s |
| वक्तुम् | वच् | pos=vi |
| अर्हसि | अर्ह् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |