महाभारतम् — 15.33.3
Original
Segmented
कच्चिद् वर्तसि पौराणीम् वृत्तिम् राज-ऋषि-सेविताम् कच्चिद् दायान् अनुच्छिद्य कोशः ते ऽभिप्रपूर्यते
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| कच्चिद् | कच्चित् | pos=i |
| वर्तसि | वृत् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
| पौराणीम् | पौराण | pos=a,g=f,c=2,n=s |
| वृत्तिम् | वृत्ति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| राज | राजन् | pos=n,comp=y |
| ऋषि | ऋषि | pos=n,comp=y |
| सेविताम् | सेव् | pos=va,g=f,c=2,n=s,f=part |
| कच्चिद् | कच्चित् | pos=i |
| दायान् | दाय | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| अनुच्छिद्य | अनुच्छिद् | pos=vi |
| कोशः | कोश | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| ते | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
| ऽभिप्रपूर्यते | अभिप्रपूरय् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |