महाभारतम् — 18.2.37
Original
Segmented
तेषाम् तद् वचनम् श्रुत्वा दयावान् दीन-भाषिन् अहो कृच्छ्रम् इति प्राह तस्थौ स च युधिष्ठिरः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| तेषाम् | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=p |
| तद् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| वचनम् | वचन | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| श्रुत्वा | श्रु | pos=vi |
| दयावान् | दयावत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| दीन | दीन | pos=a,comp=y |
| भाषिन् | भाषिन् | pos=a,g=m,c=6,n=p |
| अहो | अहो | pos=i |
| कृच्छ्रम् | कृच्छ्र | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| इति | इति | pos=i |
| प्राह | प्राह् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| तस्थौ | स्था | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| च | च | pos=i |
| युधिष्ठिरः | युधिष्ठिर | pos=n,g=m,c=1,n=s |