महाभारतम् — 2.45.30
Original
Segmented
पूर्णे शत-सहस्रे तु विप्राणाम् परिविष्यताम् स्थापिता तत्र संज्ञा अभूत् शङ्खः ध्मायति नित्यशः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| पूर्णे | पृ | pos=va,g=n,c=7,n=s,f=part |
| शत | शत | pos=n,comp=y |
| सहस्रे | सहस्र | pos=n,g=n,c=7,n=s |
| तु | तु | pos=i |
| विप्राणाम् | विप्र | pos=n,g=m,c=6,n=p |
| परिविष्यताम् | परिविष् | pos=va,g=m,c=6,n=p,f=part |
| स्थापिता | स्थापय् | pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part |
| तत्र | तत्र | pos=i |
| संज्ञा | संज्ञा | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| अभूत् | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lun |
| शङ्खः | शङ्ख | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| ध्मायति | धम् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| नित्यशः | नित्यशस् | pos=i |