महाभारतम् — 3.103.2
Original
Segmented
एष लोक-हित-अर्थम् वै पिबामि वरुणालयम् भवद्भिः यद् अनुष्ठेयम् तत् शीघ्रम् संविधीयताम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| एष | एतद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| लोक | लोक | pos=n,comp=y |
| हित | हित | pos=n,comp=y |
| अर्थम् | अर्थ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| वै | वै | pos=i |
| पिबामि | पा | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
| वरुणालयम् | वरुणालय | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| भवद्भिः | भवत् | pos=a,g=m,c=3,n=p |
| यद् | यद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| अनुष्ठेयम् | अनुष्ठा | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=krtya |
| तत् | तद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| शीघ्रम् | शीघ्र | pos=a,g=n,c=2,n=s |
| संविधीयताम् | संविधा | pos=v,p=3,n=s,l=lot |