महाभारतम् — 3.173.1
Original
Segmented
जनमेजय उवाच तस्मिन् कृत-अस्त्रे रथिनाम् प्रधाने प्रत्यागते भवनाद् वृत्रहन्तुः अतः परम् किम् अकुर्वन्त पार्थाः समेत्य शूरेण धनंजयेन
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| जनमेजय | जनमेजय | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| तस्मिन् | तद् | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| कृत | कृ | pos=va,comp=y,f=part |
| अस्त्रे | अस्त्र | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| रथिनाम् | रथिन् | pos=n,g=m,c=6,n=p |
| प्रधाने | प्रधान | pos=a,g=m,c=7,n=s |
| प्रत्यागते | प्रत्यागम् | pos=va,g=m,c=7,n=s,f=part |
| भवनाद् | भवन | pos=n,g=n,c=5,n=s |
| वृत्रहन्तुः | वृत्रहन्तृ | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| अतः | अतस् | pos=i |
| परम् | पर | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| किम् | क | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| अकुर्वन्त | कृ | pos=v,p=3,n=p,l=lan |
| पार्थाः | पार्थ | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| समेत्य | समे | pos=vi |
| शूरेण | शूर | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| धनंजयेन | धनंजय | pos=n,g=m,c=3,n=s |