महाभारतम् — 3.178.2
Original
Segmented
सर्प उवाच पात्रे दत्त्वा प्रियाणि उक्त्वा सत्यम् उक्त्वा च भारत अहिंसा-निरतः स्वर्गम् गच्छेत् इति मतिः मम
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| सर्प | सर्प | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| पात्रे | पात्र | pos=n,g=n,c=7,n=s |
| दत्त्वा | दा | pos=vi |
| प्रियाणि | प्रिय | pos=a,g=n,c=2,n=p |
| उक्त्वा | वच् | pos=vi |
| सत्यम् | सत्य | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| उक्त्वा | वच् | pos=vi |
| च | च | pos=i |
| भारत | भारत | pos=a,g=m,c=8,n=s |
| अहिंसा | अहिंसा | pos=n,comp=y |
| निरतः | निरम् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| स्वर्गम् | स्वर्ग | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| गच्छेत् | गम् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| इति | इति | pos=i |
| मतिः | मति | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| मम | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |