महाभारतम् — 3.2.18
Original
Segmented
अर्थ-कृच्छ्रेषु दुर्गेषु व्यापत्सु स्व-जनस्य च शारीर-मानसैः दुःखैः न सीदन्ति भवद्विधाः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| अर्थ | अर्थ | pos=n,comp=y |
| कृच्छ्रेषु | कृच्छ्र | pos=n,g=n,c=7,n=p |
| दुर्गेषु | दुर्ग | pos=n,g=n,c=7,n=p |
| व्यापत्सु | व्यापद् | pos=n,g=,c=7,n=p |
| स्व | स्व | pos=a,comp=y |
| जनस्य | जन | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| च | च | pos=i |
| शारीर | शारीर | pos=a,comp=y |
| मानसैः | मानस | pos=a,g=n,c=3,n=p |
| दुःखैः | दुःख | pos=n,g=n,c=3,n=p |
| न | न | pos=i |
| सीदन्ति | सद् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
| भवद्विधाः | भवद्विध | pos=a,g=m,c=1,n=p |