महाभारतम् — 3.2.47
Original
Segmented
अतः च धर्मिभिः पुंभिः अनीह-अर्थः प्रशस्यते प्रक्षालनात् हि पङ्कस्य दूराद् अस्पर्शनम् वरम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| अतः | अतस् | pos=i |
| च | च | pos=i |
| धर्मिभिः | धर्मिन् | pos=a,g=m,c=3,n=p |
| पुंभिः | पुंस् | pos=n,g=m,c=3,n=p |
| अनीह | अनीह | pos=a,comp=y |
| अर्थः | अर्थ | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| प्रशस्यते | प्रशंस् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| प्रक्षालनात् | प्रक्षालन | pos=n,g=n,c=5,n=s |
| हि | हि | pos=i |
| पङ्कस्य | पङ्क | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| दूराद् | दूर | pos=a,g=n,c=5,n=s |
| अस्पर्शनम् | अस्पर्शन | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| वरम् | वर | pos=a,g=n,c=1,n=s |