महाभारतम् — 3.209.21
Original
Segmented
उदक्-द्वारम् हविः यस्य गृहे नित्यम् प्रदीयते ततः सु इष्टम् भवेद् आज्यम् स्विष्टकृत् परमः स्मृतः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| उदक् | उदञ्च् | pos=a,comp=y |
| द्वारम् | द्वार | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| हविः | हविस् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| यस्य | यद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| गृहे | गृह | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| नित्यम् | नित्यम् | pos=i |
| प्रदीयते | प्रदा | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| ततः | ततस् | pos=i |
| सु | सु | pos=i |
| इष्टम् | यज् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
| भवेद् | भू | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| आज्यम् | आज्य | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| स्विष्टकृत् | स्विष्टकृत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| परमः | परम | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| स्मृतः | स्मृ | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |