महाभारतम् — 3.215.1
Original
Segmented
मार्कण्डेय उवाच ऋषयस् तु महा-घोरान् दृष्ट्वा उत्पातान् पृथग्विधान् अकुर्वन् शान्तिम् उद्विग्ना लोकानाम् लोक-भावनाः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| मार्कण्डेय | मार्कण्डेय | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| ऋषयस् | ऋषि | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| तु | तु | pos=i |
| महा | महत् | pos=a,comp=y |
| घोरान् | घोर | pos=a,g=m,c=2,n=p |
| दृष्ट्वा | दृश् | pos=vi |
| उत्पातान् | उत्पात | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| पृथग्विधान् | पृथग्विध | pos=a,g=m,c=2,n=p |
| अकुर्वन् | कृ | pos=v,p=3,n=p,l=lan |
| शान्तिम् | शान्ति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| उद्विग्ना | उद्विज् | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |
| लोकानाम् | लोक | pos=n,g=m,c=6,n=p |
| लोक | लोक | pos=n,comp=y |
| भावनाः | भावन | pos=a,g=m,c=1,n=p |