महाभारतम् — 3.218.22
Original
Segmented
स्कन्द उवाच दानवानाम् विनाशाय देवानाम् अर्थ-सिद्धये गो ब्राह्मणस्य त्राण-अर्थम् सेनापत्ये ऽभिषिञ्च माम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| स्कन्द | स्कन्द | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| दानवानाम् | दानव | pos=n,g=m,c=6,n=p |
| विनाशाय | विनाश | pos=n,g=m,c=4,n=s |
| देवानाम् | देव | pos=n,g=m,c=6,n=p |
| अर्थ | अर्थ | pos=n,comp=y |
| सिद्धये | सिद्धि | pos=n,g=f,c=4,n=s |
| गो | गो | pos=i |
| ब्राह्मणस्य | ब्राह्मण | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| त्राण | त्राण | pos=n,comp=y |
| अर्थम् | अर्थ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| सेनापत्ये | सेनापत्य | pos=n,g=n,c=7,n=s |
| ऽभिषिञ्च | अभिषिच् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
| माम् | मद् | pos=n,g=,c=2,n=s |