महाभारतम् — 3.225.27
Original
Segmented
कथम् न भिद्येत न च स्रवेत न च प्रसिच्येद् इति रक्षितव्यम् अरक्ष्यमाणः शतधा विशीर्येद् ध्रुवम् न नाशो ऽस्ति कृतस्य लोके
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| कथम् | कथम् | pos=i |
| न | न | pos=i |
| भिद्येत | भिद् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| न | न | pos=i |
| च | च | pos=i |
| स्रवेत | स्रु | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| न | न | pos=i |
| च | च | pos=i |
| प्रसिच्येद् | प्रसिच् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| इति | इति | pos=i |
| रक्षितव्यम् | रक्ष् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=krtya |
| अरक्ष्यमाणः | अरक्ष्यमाण | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| शतधा | शतधा | pos=i |
| विशीर्येद् | विशृ | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| ध्रुवम् | ध्रुवम् | pos=i |
| न | न | pos=i |
| नाशो | नाश | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| ऽस्ति | अस् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| कृतस्य | कृ | pos=va,g=n,c=6,n=s,f=part |
| लोके | लोक | pos=n,g=m,c=7,n=s |