महाभारतम् — 3.225.8
Original
Segmented
प्रोवाच दैन्य-अभिहन्-अन्तरात्मा निःश्वास-बाष्प-उपहतः स पार्थान् वाचम् कथंचित् स्थिरताम् उपेत्य तत् सर्वम् आत्म-प्रभवम् विचिन्त्य
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| प्रोवाच | प्रवच् | pos=v,p=1,n=s,l=lit |
| दैन्य | दैन्य | pos=n,comp=y |
| अभिहन् | अभिहन् | pos=va,comp=y,f=part |
| अन्तरात्मा | अन्तरात्मन् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| निःश्वास | निःश्वास | pos=n,comp=y |
| बाष्प | बाष्प | pos=n,comp=y |
| उपहतः | उपहन् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| पार्थान् | पार्थ | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| वाचम् | वाच् | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| कथंचित् | कथंचिद् | pos=i |
| स्थिरताम् | स्थिरता | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| उपेत्य | उपे | pos=vi |
| तत् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| सर्वम् | सर्व | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| आत्म | आत्मन् | pos=n,comp=y |
| प्रभवम् | प्रभव | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| विचिन्त्य | विचिन्तय् | pos=vi |