महाभारतम् — 3.280.8
Original
Segmented
मार्कण्डेय उवाच एवम् उक्त्वा द्युमत्सेनो विरराम महा-मनाः तिष्ठन्ती च अपि सावित्री काष्ठ-भूता इव लक्ष्यते
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| मार्कण्डेय | मार्कण्डेय | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| एवम् | एवम् | pos=i |
| उक्त्वा | वच् | pos=vi |
| द्युमत्सेनो | द्युमत्सेन | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| विरराम | विरम् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| महा | महत् | pos=a,comp=y |
| मनाः | मनस् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| तिष्ठन्ती | स्था | pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part |
| च | च | pos=i |
| अपि | अपि | pos=i |
| सावित्री | सावित्री | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| काष्ठ | काष्ठ | pos=n,comp=y |
| भूता | भू | pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part |
| इव | इव | pos=i |
| लक्ष्यते | लक्षय् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |