महाभारतम् — 3.282.20
Original
Segmented
मार्कण्डेय उवाच एवम् आश्वासितः तैः तु सत्य-वाच् तपस्विभिः तांस् तान् विगणयन्न् अर्थान् अवस्थित इव अभवत्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| मार्कण्डेय | मार्कण्डेय | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| एवम् | एवम् | pos=i |
| आश्वासितः | आश्वासय् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| तैः | तद् | pos=n,g=m,c=3,n=p |
| तु | तु | pos=i |
| सत्य | सत्य | pos=n,comp=y |
| वाच् | वाच् | pos=n,g=m,c=3,n=p |
| तपस्विभिः | तपस्विन् | pos=n,g=m,c=3,n=p |
| तांस् | तद् | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| तान् | तद् | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| विगणयन्न् | विगणय् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| अर्थान् | अर्थ | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| अवस्थित | अवस्था | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| इव | इव | pos=i |
| अभवत् | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lan |