महाभारतम् — 3.286.17
Original
Segmented
वैशम्पायन उवाच एवम् उक्त्वा सहस्रांशुः सहसा अन्तरधीयत ततः सूर्याय जप्य-अन्ते कर्णः स्वप्नम् न्यवेदयत्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| वैशम्पायन | वैशम्पायन | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| एवम् | एवम् | pos=i |
| उक्त्वा | वच् | pos=vi |
| सहस्रांशुः | सहस्रांशु | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| सहसा | सहस् | pos=n,g=n,c=3,n=s |
| अन्तरधीयत | अन्तर्धा | pos=v,p=3,n=s,l=lan |
| ततः | ततस् | pos=i |
| सूर्याय | सूर्य | pos=n,g=m,c=4,n=s |
| जप्य | जप्य | pos=n,comp=y |
| अन्ते | अन्त | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| कर्णः | कर्ण | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| स्वप्नम् | स्वप्न | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| न्यवेदयत् | निवेदय् | pos=v,p=3,n=s,l=lan |