महाभारतम् — 3.294.2
Original
Segmented
हिरण्य-कण्ठ्यः प्रमदा ग्रामान् वा बहु-गोकुलान् किम् ददानि इति तम् विप्रम् उवाच आधिरथि ततः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| हिरण्य | हिरण्य | pos=n,comp=y |
| कण्ठ्यः | कण्ठी | pos=n,g=f,c=2,n=p |
| प्रमदा | प्रमदा | pos=n,g=f,c=2,n=p |
| ग्रामान् | ग्राम | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| वा | वा | pos=i |
| बहु | बहु | pos=a,comp=y |
| गोकुलान् | गोकुल | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| किम् | क | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| ददानि | दा | pos=v,p=1,n=s,l=lot |
| इति | इति | pos=i |
| तम् | तद् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| विप्रम् | विप्र | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| आधिरथि | आधिरथि | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| ततः | ततस् | pos=i |