महाभारतम् — 4.55.15
Original
Segmented
वैशंपायन उवाच इति कर्णम् ब्रुवन्न् एव बीभत्सुः अपराजितः अभ्ययाद् विसृजन् बाणान् काय-आवरण-भेदिनः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| वैशंपायन | वैशम्पायन | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| इति | इति | pos=i |
| कर्णम् | कर्ण | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| ब्रुवन्न् | ब्रू | pos=v,p=3,n=p,l=lan |
| एव | एव | pos=i |
| बीभत्सुः | बीभत्सु | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| अपराजितः | अपराजित | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| अभ्ययाद् | अभिया | pos=v,p=3,n=s,l=lan |
| विसृजन् | विसृज् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| बाणान् | बाण | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| काय | काय | pos=n,comp=y |
| आवरण | आवरण | pos=n,comp=y |
| भेदिनः | भेदिन् | pos=a,g=m,c=2,n=p |