महाभारतम् — 5.149.38
Original
Segmented
वैशंपायन उवाच तस्य तद् वचनम् श्रुत्वा धर्मराजस्य धीमतः अब्रवीत् पुण्डरीकाक्षो धनंजयम् अवेक्ष्य ह
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| वैशंपायन | वैशम्पायन | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| तस्य | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| तद् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| वचनम् | वचन | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| श्रुत्वा | श्रु | pos=vi |
| धर्मराजस्य | धर्मराज | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| धीमतः | धीमत् | pos=a,g=m,c=6,n=s |
| अब्रवीत् | ब्रू | pos=v,p=3,n=s,l=lan |
| पुण्डरीकाक्षो | पुण्डरीकाक्ष | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| धनंजयम् | धनंजय | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| अवेक्ष्य | अवेक्ष् | pos=vi |
| ह | ह | pos=i |