महाभारतम् — 5.17.15
Original
Segmented
ध्वंस पाप परिभ्रष्टः क्षीण-पुण्यः मही-तलम् दश वर्ष-सहस्राणि सर्प-रूप-धरः महान् विचरिष्यसि पूर्णेषु पुनः स्वर्गम् अवाप्स्यसि
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| ध्वंस | ध्वंस् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
| पाप | पाप | pos=a,g=m,c=8,n=s |
| परिभ्रष्टः | परिभ्रंश् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| क्षीण | क्षि | pos=va,comp=y,f=part |
| पुण्यः | पुण्य | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| मही | मही | pos=n,comp=y |
| तलम् | तल | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| दश | दशन् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| वर्ष | वर्ष | pos=n,comp=y |
| सहस्राणि | सहस्र | pos=n,g=n,c=2,n=p |
| सर्प | सर्प | pos=n,comp=y |
| रूप | रूप | pos=n,comp=y |
| धरः | धर | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| महान् | महत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| विचरिष्यसि | विचर् | pos=v,p=2,n=s,l=lrt |
| पूर्णेषु | पृ | pos=va,g=n,c=7,n=p,f=part |
| पुनः | पुनर् | pos=i |
| स्वर्गम् | स्वर्ग | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| अवाप्स्यसि | अवाप् | pos=v,p=2,n=s,l=lrt |