महाभारतम् — 5.175.12
Original
Segmented
अकृतव्रण उवाच भवन्तम् एव सततम् रामः कीर्तयति प्रभो सृञ्जयो मे प्रिय-सखः राजर्षिः इति पार्थिव
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| अकृतव्रण | अकृतव्रण | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| भवन्तम् | भवत् | pos=a,g=m,c=2,n=s |
| एव | एव | pos=i |
| सततम् | सततम् | pos=i |
| रामः | राम | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| कीर्तयति | कीर्तय् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| प्रभो | प्रभु | pos=n,g=m,c=8,n=s |
| सृञ्जयो | सृञ्जय | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| मे | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
| प्रिय | प्रिय | pos=a,comp=y |
| सखः | सख | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| राजर्षिः | राजर्षि | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| इति | इति | pos=i |
| पार्थिव | पार्थिव | pos=n,g=m,c=8,n=s |