महाभारतम् — 5.39.34
Original
Segmented
ययोः चित्तेन वा चित्तम् नैभृतम् समेति प्रज्ञया प्रज्ञा तयोः मैत्री न जीर्यते
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| ययोः | यद् | pos=n,g=m,c=6,n=d |
| चित्तेन | चित्त | pos=n,g=n,c=3,n=s |
| वा | वा | pos=i |
| चित्तम् | चित्त | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| नैभृतम् | वा | pos=i |
| समेति | समि | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| प्रज्ञया | प्रज्ञा | pos=n,g=f,c=3,n=s |
| प्रज्ञा | प्रज्ञा | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| तयोः | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=d |
| मैत्री | मैत्री | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| न | न | pos=i |
| जीर्यते | जृ | pos=v,p=3,n=s,l=lat |