महाभारतम् — 5.39.44
Original
Segmented
अनिर्वेदः श्रियो मूलम् दुःख-नाशे सुखस्य च महान् भवति अनिर्विण्णः सुखम् च अत्यन्तम् अश्नुते
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| अनिर्वेदः | अनिर्वेद | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| श्रियो | श्री | pos=n,g=f,c=6,n=s |
| मूलम् | मूल | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| दुःख | दुःख | pos=n,comp=y |
| नाशे | नाश | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| सुखस्य | सुख | pos=n,g=n,c=6,n=s |
| च | च | pos=i |
| महान् | महत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| भवति | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| अनिर्विण्णः | अनिर्विण्ण | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| सुखम् | सुख | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| च | च | pos=i |
| अत्यन्तम् | अत्यन्त | pos=a,g=n,c=2,n=s |
| अश्नुते | अश् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |