महाभारतम् — 5.47.21
Original
Segmented
सुख-उचितः दुःख-शय्याम् वनेषु दीर्घम् कालम् नकुलो याम् अशेत आशीविषः क्रुद्ध इव श्वसन् भृशम् तदा युद्धम् धार्तराष्ट्रो ऽन्वतप्स्यत्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| सुख | सुख | pos=n,comp=y |
| उचितः | उचित | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| दुःख | दुःख | pos=a,comp=y |
| शय्याम् | शय्या | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| वनेषु | वन | pos=n,g=n,c=7,n=p |
| दीर्घम् | दीर्घ | pos=a,g=m,c=2,n=s |
| कालम् | काल | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| नकुलो | नकुल | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| याम् | यद् | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| अशेत | शी | pos=v,p=3,n=s,l=lan |
| आशीविषः | आशीविष | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| क्रुद्ध | क्रुध् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| इव | इव | pos=i |
| श्वसन् | श्वस् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| भृशम् | भृशम् | pos=i |
| तदा | तदा | pos=i |
| युद्धम् | युद्ध | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| धार्तराष्ट्रो | धार्तराष्ट्र | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| ऽन्वतप्स्यत् | अनुतप् | pos=v,p=3,n=s,l=lrn |