महाभारतम् — 5.67.16
Original
Segmented
धृतराष्ट्र उवाच अङ्ग संजय मे शंस पन्थानम् अकुतोभयम् येन गत्वा हृषीकेशम् प्राप्नुयाम् शान्तिम् उत्तमाम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| धृतराष्ट्र | धृतराष्ट्र | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| अङ्ग | अङ्ग | pos=i |
| संजय | संजय | pos=n,g=m,c=8,n=s |
| मे | मद् | pos=n,g=,c=4,n=s |
| शंस | शंस् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
| पन्थानम् | पथिन् | pos=n,g=,c=2,n=s |
| अकुतोभयम् | अकुतोभय | pos=a,g=m,c=2,n=s |
| येन | यद् | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| गत्वा | गम् | pos=vi |
| हृषीकेशम् | हृषीकेश | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| प्राप्नुयाम् | प्राप् | pos=v,p=1,n=s,l=vidhilin |
| शान्तिम् | शान्ति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| उत्तमाम् | उत्तम | pos=a,g=f,c=2,n=s |