महाभारतम् — 7.110.24
Original
Segmented
संजय उवाच यत् संशोचसि कौरव्य वर्तमाने जन-क्षये त्वम् अस्य जगतो मूलम् विनाशस्य न संशयः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| संजय | संजय | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| यत् | यत् | pos=i |
| संशोचसि | संशुच् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
| कौरव्य | कौरव्य | pos=n,g=m,c=8,n=s |
| वर्तमाने | वृत् | pos=va,g=m,c=7,n=s,f=part |
| जन | जन | pos=n,comp=y |
| क्षये | क्षय | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
| अस्य | इदम् | pos=n,g=n,c=6,n=s |
| जगतो | जगन्त् | pos=n,g=n,c=6,n=s |
| मूलम् | मूल | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| विनाशस्य | विनाश | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| न | न | pos=i |
| संशयः | संशय | pos=n,g=m,c=1,n=s |