महाभारतम् — 7.122.43
Original
Segmented
दारुको ऽवेत्य संदेशम् श्रुत्वा शङ्खस्य च स्वनम् रथम् अन्वानयत् तस्मै सुपर्ण-उच्छ्रित-केतनम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| दारुको | दारुक | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| ऽवेत्य | अवे | pos=vi |
| संदेशम् | संदेश | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| श्रुत्वा | श्रु | pos=vi |
| शङ्खस्य | शङ्ख | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| च | च | pos=i |
| स्वनम् | स्वन | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| रथम् | रथ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| अन्वानयत् | अन्वानी | pos=v,p=3,n=s,l=lan |
| तस्मै | तद् | pos=n,g=m,c=4,n=s |
| सुपर्ण | सुपर्ण | pos=n,comp=y |
| उच्छ्रित | उच्छ्रि | pos=va,comp=y,f=part |
| केतनम् | केतन | pos=n,g=m,c=2,n=s |