महाभारतम् — 7.13.31
Original
Segmented
धृष्टकेतुः कृपेनास्ताञ्छित्त्वा बहुविधाञ् कृपम् विव्याध सप्तत्या लक्ष्म च अस्य आहरत् त्रिभिः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| धृष्टकेतुः | धृष्टकेतु | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| कृपेनास्ताञ्छित्त्वा | बहुविध | pos=a,g=m,c=2,n=p |
| बहुविधाञ् | शर | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| कृपम् | कृप | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| विव्याध | व्यध् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| सप्तत्या | सप्तति | pos=n,g=f,c=3,n=s |
| लक्ष्म | लक्ष्मन् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| च | च | pos=i |
| अस्य | इदम् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| आहरत् | आहृ | pos=v,p=3,n=s,l=lan |
| त्रिभिः | त्रि | pos=n,g=m,c=3,n=p |