महाभारतम् — 7.137.45
Original
Segmented
उपारमस्व युद्धाय द्रोणाद् भरत-सत्तम गृध्यते हि सदा द्रोणो ग्रहणे तव संयुगे
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| उपारमस्व | उपारम् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
| युद्धाय | युद्ध | pos=n,g=n,c=4,n=s |
| द्रोणाद् | द्रोण | pos=n,g=m,c=5,n=s |
| भरत | भरत | pos=n,comp=y |
| सत्तम | सत्तम | pos=a,g=m,c=8,n=s |
| गृध्यते | गृध् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| हि | हि | pos=i |
| सदा | सदा | pos=i |
| द्रोणो | द्रोण | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| ग्रहणे | ग्रहण | pos=n,g=n,c=7,n=s |
| तव | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
| संयुगे | संयुग | pos=n,g=n,c=7,n=s |