महाभारतम् — 7.16.25
Original
Segmented
ब्रह्मचर्य-श्रुति-मुखैः क्रतुभिः च आप्त-दक्षिणैः प्राप्य लोकान् सु युद्धेन क्षिप्रम् एव यियासवः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| ब्रह्मचर्य | ब्रह्मचर्य | pos=n,comp=y |
| श्रुति | श्रुति | pos=n,comp=y |
| मुखैः | मुख | pos=n,g=m,c=3,n=p |
| क्रतुभिः | क्रतु | pos=n,g=m,c=3,n=p |
| च | च | pos=i |
| आप्त | आप्त | pos=a,comp=y |
| दक्षिणैः | दक्षिणा | pos=n,g=m,c=3,n=p |
| प्राप्य | प्राप् | pos=vi |
| लोकान् | लोक | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| सु | सु | pos=i |
| युद्धेन | युद्ध | pos=n,g=n,c=3,n=s |
| क्षिप्रम् | क्षिप्रम् | pos=i |
| एव | एव | pos=i |
| यियासवः | यियासु | pos=a,g=m,c=1,n=p |