महाभारतम् — 7.166.56
Original
Segmented
मित्र-ब्रह्म-गुरु-द्वेषी जाल्मकः सु विगर्हितः पाञ्चाल-अपसदः च अद्य न मे जीवन् विमोक्ष्यते
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| मित्र | मित्र | pos=n,comp=y |
| ब्रह्म | ब्रह्मन् | pos=n,comp=y |
| गुरु | गुरु | pos=n,comp=y |
| द्वेषी | द्वेषिन् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| जाल्मकः | जाल्मक | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| सु | सु | pos=i |
| विगर्हितः | विगर्ह् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| पाञ्चाल | पाञ्चाल | pos=n,comp=y |
| अपसदः | अपसद | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| च | च | pos=i |
| अद्य | अद्य | pos=i |
| न | न | pos=i |
| मे | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
| जीवन् | जीव् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| विमोक्ष्यते | विमुच् | pos=v,p=3,n=s,l=lrt |