महाभारतम् — 7.21.1
Original
Segmented
धृतराष्ट्र उवाच भारद्वाजेन भग्नेषु पाण्डवेषु महा-मृधे पाञ्चालेषु च सर्वेषु कश्चिद् अन्यो ऽभ्यवर्तत
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| धृतराष्ट्र | धृतराष्ट्र | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| भारद्वाजेन | भारद्वाज | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| भग्नेषु | भञ्ज् | pos=va,g=m,c=7,n=p,f=part |
| पाण्डवेषु | पाण्डव | pos=n,g=m,c=7,n=p |
| महा | महत् | pos=a,comp=y |
| मृधे | मृध | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| पाञ्चालेषु | पाञ्चाल | pos=n,g=m,c=7,n=p |
| च | च | pos=i |
| सर्वेषु | सर्व | pos=n,g=m,c=7,n=p |
| कश्चिद् | कश्चित् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| अन्यो | अन्य | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| ऽभ्यवर्तत | अभिवृत् | pos=v,p=3,n=s,l=lan |