महाभारतम् — 7.52.2
Original
Segmented
शोक-संमूढ-हृदयः दुःखेन अभिहतः भृशम् मज्जमान इव अगाधे विपुले शोक-सागरे
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| शोक | शोक | pos=n,comp=y |
| संमूढ | सम्मुह् | pos=va,comp=y,f=part |
| हृदयः | हृदय | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| दुःखेन | दुःख | pos=n,g=n,c=3,n=s |
| अभिहतः | अभिहन् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| भृशम् | भृशम् | pos=i |
| मज्जमान | मज्ज् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| इव | इव | pos=i |
| अगाधे | अगाध | pos=a,g=m,c=7,n=s |
| विपुले | विपुल | pos=a,g=m,c=7,n=s |
| शोक | शोक | pos=n,comp=y |
| सागरे | सागर | pos=n,g=m,c=7,n=s |