महाभारतम् — 8.22.43
Original
Segmented
न असाध्यम् विद्यते मे ऽद्य त्वद्-प्रिय-अर्थम् विशेषतः सम्यग् धर्म-अनुरक्तस्य सिद्धिः आत्मवतो यथा
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| न | न | pos=i |
| असाध्यम् | असाध्य | pos=a,g=n,c=1,n=s |
| विद्यते | विद् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| मे | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
| ऽद्य | अद्य | pos=i |
| त्वद् | त्वद् | pos=n,comp=y |
| प्रिय | प्रिय | pos=a,comp=y |
| अर्थम् | अर्थ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| विशेषतः | विशेषतः | pos=i |
| सम्यग् | सम्यक् | pos=i |
| धर्म | धर्म | pos=n,comp=y |
| अनुरक्तस्य | अनुरञ्ज् | pos=va,g=m,c=6,n=s,f=part |
| सिद्धिः | सिद्धि | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| आत्मवतो | आत्मवत् | pos=a,g=m,c=6,n=s |
| यथा | यथा | pos=i |