महाभारतम् — 8.28.41
Original
Segmented
अविषह्यः समुद्रो हि बहु-सत्त्व-गण-आलयः महा-भूत-शत-उद्भासी नभसो ऽपि विशिष्यते
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| अविषह्यः | अविषह्य | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| समुद्रो | समुद्र | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| हि | हि | pos=i |
| बहु | बहु | pos=a,comp=y |
| सत्त्व | सत्त्व | pos=n,comp=y |
| गण | गण | pos=n,comp=y |
| आलयः | आलय | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| महा | महत् | pos=a,comp=y |
| भूत | भूत | pos=n,comp=y |
| शत | शत | pos=n,comp=y |
| उद्भासी | उद्भासिन् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| नभसो | नभस् | pos=n,g=n,c=5,n=s |
| ऽपि | अपि | pos=i |
| विशिष्यते | विशिष् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |