महाभारतम् — 8.40.115
Original
Segmented
सिद्ध-चारण-संघाः च संपेतुः वै समन्ततः चिन्तयन्तो भवेद् अद्य लोकानाम् स्वस्त्य् अपि इति अह
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| सिद्ध | सिद्ध | pos=n,comp=y |
| चारण | चारण | pos=n,comp=y |
| संघाः | संघ | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| च | च | pos=i |
| संपेतुः | सम्पत् | pos=v,p=3,n=p,l=lit |
| वै | वै | pos=i |
| समन्ततः | समन्ततः | pos=i |
| चिन्तयन्तो | चिन्तय् | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |
| भवेद् | भू | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| अद्य | अद्य | pos=i |
| लोकानाम् | लोक | pos=n,g=m,c=6,n=p |
| स्वस्त्य् | स्वस्ति | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| अपि | अपि | pos=i |
| इति | इति | pos=i |
| अह | अह | pos=i |