महाभारतम् — 8.40.27
Original
Segmented
स पञ्चदश नाराचाञ् श्वसतः पन्नगान् इव जिघांसुः भरत-श्रेष्ठम् धृष्टद्युम्नो व्यवासृजत्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| पञ्चदश | पञ्चदशन् | pos=a,g=n,c=2,n=s |
| नाराचाञ् | नाराच | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| श्वसतः | श्वस् | pos=va,g=m,c=2,n=p,f=part |
| पन्नगान् | पन्नग | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| इव | इव | pos=i |
| जिघांसुः | जिघांसु | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| भरत | भरत | pos=n,comp=y |
| श्रेष्ठम् | श्रेष्ठ | pos=a,g=m,c=2,n=s |
| धृष्टद्युम्नो | धृष्टद्युम्न | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| व्यवासृजत् | व्यवसृज् | pos=v,p=3,n=s,l=lan |