महाभारतम् — 8.43.32
Original
Segmented
एष कर्णो रणे जित्वा पाञ्चालान् पाण्डु-सृञ्जयान् दिशो विप्रेक्षते सर्वास् त्वद्-अर्थम् इति मे मतिः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| एष | एतद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| कर्णो | कर्ण | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| रणे | रण | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| जित्वा | जि | pos=vi |
| पाञ्चालान् | पाञ्चाल | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| पाण्डु | पाण्डु | pos=n,comp=y |
| सृञ्जयान् | सृञ्जय | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| दिशो | दिश् | pos=n,g=f,c=2,n=p |
| विप्रेक्षते | विप्रेक्ष् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| सर्वास् | सर्व | pos=n,g=f,c=2,n=p |
| त्वद् | त्वद् | pos=n,comp=y |
| अर्थम् | अर्थ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| इति | इति | pos=i |
| मे | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
| मतिः | मति | pos=n,g=f,c=1,n=s |