महाभारतम् — 8.46.42
Original
Segmented
कच्चित् त्वया तस्य सु मन्द-बुद्धेः गाण्डीव-मुक्तैः विशिखैः ज्वलद्भिः स कुण्डलम् भानुमद् उत्तमाङ्गम् कायात् प्रकृत्तम् युधि सव्यसाचिन्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| कच्चित् | कच्चित् | pos=i |
| त्वया | त्वद् | pos=n,g=,c=3,n=s |
| तस्य | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| सु | सु | pos=i |
| मन्द | मन्द | pos=a,comp=y |
| बुद्धेः | बुद्धि | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| गाण्डीव | गाण्डीव | pos=n,comp=y |
| मुक्तैः | मुच् | pos=va,g=m,c=3,n=p,f=part |
| विशिखैः | विशिख | pos=n,g=m,c=3,n=p |
| ज्वलद्भिः | ज्वल् | pos=va,g=m,c=3,n=p,f=part |
| स | स | pos=i |
| कुण्डलम् | कुण्डल | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| भानुमद् | भानुमत् | pos=a,g=n,c=1,n=s |
| उत्तमाङ्गम् | उत्तमाङ्ग | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| कायात् | काय | pos=n,g=m,c=5,n=s |
| प्रकृत्तम् | प्रकृत् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
| युधि | युध् | pos=n,g=f,c=7,n=s |
| सव्यसाचिन् | सव्यसाचिन् | pos=n,g=m,c=8,n=s |