महाभारतम् — 9.14.37
Original
Segmented
शर-अन्धकारम् बहुधा कृतम् तत्र समन्ततः अभ्र-छाया इव संजज्ञे शरैः मुक्तैः महात्मभिः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| शर | शर | pos=n,comp=y |
| अन्धकारम् | अन्धकार | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| बहुधा | बहुधा | pos=i |
| कृतम् | कृ | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
| तत्र | तत्र | pos=i |
| समन्ततः | समन्ततः | pos=i |
| अभ्र | अभ्र | pos=n,comp=y |
| छाया | छाया | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| इव | इव | pos=i |
| संजज्ञे | संजन् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| शरैः | शर | pos=n,g=m,c=3,n=p |
| मुक्तैः | मुच् | pos=va,g=m,c=3,n=p,f=part |
| महात्मभिः | महात्मन् | pos=a,g=m,c=3,n=p |