महाभारतम् — 9.29.3
Original
Segmented
संजय उवाच सम्प्राद्रवत्सु दारेषु क्षत्रियाणाम् महात्मनाम् विद्रुते शिबिरे शून्ये भृश-उद्विग्नाः त्रयः रथाः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| संजय | संजय | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| सम्प्राद्रवत्सु | सम्प्राद्रु | pos=va,g=m,c=7,n=p,f=part |
| दारेषु | दार | pos=n,g=m,c=7,n=p |
| क्षत्रियाणाम् | क्षत्रिय | pos=n,g=m,c=6,n=p |
| महात्मनाम् | महात्मन् | pos=a,g=m,c=6,n=p |
| विद्रुते | विद्रु | pos=va,g=n,c=7,n=s,f=part |
| शिबिरे | शिबिर | pos=n,g=n,c=7,n=s |
| शून्ये | शून्य | pos=a,g=n,c=7,n=s |
| भृश | भृश | pos=a,comp=y |
| उद्विग्नाः | उद्विज् | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |
| त्रयः | त्रि | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| रथाः | रथ | pos=n,g=m,c=1,n=p |