महाभारतम् — 9.32.24
Original
Segmented
त्वाम् च प्राप्य रणे पापो धार्तराष्ट्रो विनङ्क्ष्यति त्वम् अस्य सक्थिनी भङ्क्त्वा प्रतिज्ञाम् पारयिष्यसि
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| त्वाम् | त्वद् | pos=n,g=,c=2,n=s |
| च | च | pos=i |
| प्राप्य | प्राप् | pos=vi |
| रणे | रण | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| पापो | पाप | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| धार्तराष्ट्रो | धार्तराष्ट्र | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| विनङ्क्ष्यति | विनश् | pos=v,p=3,n=s,l=lrt |
| त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
| अस्य | इदम् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| सक्थिनी | सक्थि | pos=n,g=n,c=2,n=d |
| भङ्क्त्वा | भञ्ज् | pos=vi |
| प्रतिज्ञाम् | प्रतिज्ञा | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| पारयिष्यसि | पारय् | pos=v,p=2,n=s,l=lrt |