महाभारतम् — 9.38.1
Original
Segmented
वैशंपायन उवाच उषित्वा तत्र रामः तु सम्पूज्य आश्रम-वासिन् तथा मङ्कणके प्रीतिम् शुभाम् चक्रे हलायुधः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| वैशंपायन | वैशम्पायन | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| उषित्वा | वस् | pos=vi |
| तत्र | तत्र | pos=i |
| रामः | राम | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| तु | तु | pos=i |
| सम्पूज्य | सम्पूजय् | pos=vi |
| आश्रम | आश्रम | pos=n,comp=y |
| वासिन् | वासिन् | pos=a,g=m,c=2,n=p |
| तथा | तथा | pos=i |
| मङ्कणके | मङ्कणक | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| प्रीतिम् | प्रीति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| शुभाम् | शुभ | pos=a,g=f,c=2,n=s |
| चक्रे | कृ | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| हलायुधः | हलायुध | pos=n,g=m,c=1,n=s |