रामायणम् — 2.101.12
Original
Segmented
उद्विजन्ते यथा सर्पान् नराद् अनृत-वादिनः धर्मः सत्यम् परो लोके मूलम् स्वर्गस्य च उच्यते
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| उद्विजन्ते | उद्विज् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
| यथा | यथा | pos=i |
| सर्पान् | सर्प | pos=n,g=m,c=5,n=s |
| नराद् | नर | pos=n,g=m,c=5,n=s |
| अनृत | अनृत | pos=n,comp=y |
| वादिनः | वादिन् | pos=a,g=m,c=5,n=s |
| धर्मः | धर्म | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| सत्यम् | सत्य | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| परो | पर | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| लोके | लोक | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| मूलम् | मूल | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| स्वर्गस्य | स्वर्ग | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| च | च | pos=i |
| उच्यते | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |