रामायणम् — 2.101.21
Original
Segmented
कायेन कुरुते पापम् मनसा सम्प्रधार्य च अनृतम् जिह्वया च आह त्रिविधम् कर्म पातकम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| कायेन | काय | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| कुरुते | कृ | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| पापम् | पाप | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| मनसा | मनस् | pos=n,g=n,c=3,n=s |
| सम्प्रधार्य | सम्प्रधारय् | pos=vi |
| च | च | pos=i |
| अनृतम् | अनृत | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| जिह्वया | जिह्वा | pos=n,g=f,c=3,n=s |
| च | च | pos=i |
| आह | अह् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| त्रिविधम् | त्रिविध | pos=a,g=n,c=1,n=s |
| कर्म | कर्मन् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| पातकम् | पातक | pos=n,g=n,c=1,n=s |