रामायणम् — 2.110.19
Original
Segmented
अङ्गरागेण दिव्येन लिप्त-अङ्गी जनकात्मजे शोभयिष्यामि भर्तारम् यथा श्रीः विष्णुम् अव्ययम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| अङ्गरागेण | अङ्गराग | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| दिव्येन | दिव्य | pos=a,g=m,c=3,n=s |
| लिप्त | लिप् | pos=va,comp=y,f=part |
| अङ्गी | अङ्ग | pos=a,g=f,c=1,n=s |
| जनकात्मजे | जनकात्मजा | pos=n,g=f,c=8,n=s |
| शोभयिष्यामि | शोभय् | pos=v,p=1,n=s,l=lrt |
| भर्तारम् | भर्तृ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| यथा | यथा | pos=i |
| श्रीः | श्री | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| विष्णुम् | विष्णु | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| अव्ययम् | अव्यय | pos=a,g=m,c=2,n=s |