रामायणम् — 2.17.33
Original
Segmented
भृशम् असुखम् अमर्षिता तदा बहु विललाप समीक्ष्य राघवम् व्यसनम् उपनिशाम्य सा महत् सुतम् इव बद्धम् अवेक्ष्य किंनरी
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| भृशम् | भृशम् | pos=i |
| असुखम् | असुख | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| अमर्षिता | अमर्षित | pos=a,g=f,c=1,n=s |
| तदा | तदा | pos=i |
| बहु | बहु | pos=a,g=n,c=2,n=s |
| विललाप | विलप् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| समीक्ष्य | समीक्ष् | pos=vi |
| राघवम् | राघव | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| व्यसनम् | व्यसन | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| उपनिशाम्य | उपनिशामय् | pos=vi |
| सा | तद् | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| महत् | महत् | pos=a,g=n,c=2,n=s |
| सुतम् | सुत | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| इव | इव | pos=i |
| बद्धम् | बन्ध् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
| अवेक्ष्य | अवेक्ष् | pos=vi |
| किंनरी | किंनरी | pos=n,g=f,c=1,n=s |